परिश्रम का महत्व | Story in Hindi Language
अपनी मात्रभाषा में कहानी पढने का कुछ मज़ा ही अलग है| इसीलिए हम हमारे पाठकों के लिए हमारी वेबसाइट hindishortstories.com में हिंदी में नई-नई कहानियां लेकर आते हैं| इसी कड़ी में पेश है हमारी एक और नई कहानी “परिश्रम का महत्व | Story in Hindi Language”
परिश्रम का महत्व | Story in Hindi Language
बात तब की है जब बीमारियाँ एक पहाड़ पर रहा करती थी| पहाड़ बिमारियों को अपनी बेटी की तरह पालता पोसता था| बीमारियाँ पहाड़ के इस उपकार के लिए पहाड़ का अहसान मानती और हमेशा पहाड़ के इस अहसान के लिए किसी भी उपकार के लिए इच्छुक रहती| लेकिन पहाड़ तो पहाड़ ठहरा, था ही इतना विशाल और अपनी जगह डटा हुआ की उसे कभी बिमारियों के किसी उपकार की ज़रूरत ही नहीं पड़ी|
पहाड़ की तलहटी में ही एक गाँव था| कुछ दिन बीते और गाँव के एक किसान को खेती के लिए अतिरिक्त ज़मीन कि ज़रूरत पड़ी| किसान को कहीं ज़मीन दिखाई नहीं दी| अचानक किसान की नज़र हजारों एकड़ जमीन दबाए हुए पहाड़ पर पड़ी| किसान ने सोचा क्यों ना पहाड़ को खोदकर खेती योग्य जमीन को निकाल दिया जाए| ]
बस फिर क्या था, किसान के सोचने भर की देर थी और उसने पहाड़ को खोदकर कई साडी जमीन निकाल ली| किसान को पहाड़ खोदता देख और दुसरे किसान भी जमीन के लिए पहाड़ को खोदने चले आए| देखते ही देखते किसानों की संख्या सेकड़ों तक पहुँच गई| किसान फावड़ा लेकर पहाड़ को खोदने में जुटे रहे|
परिश्रम का महत्व | Story in Hindi Language
यह देख पहाड़ को अपना अस्तित्व खतरे में नज़र आने लगा| पहाड़ घबराया और अपने बचाव के उपाय खोजने लगा| किसान को जब अपने बचाव का कोई उपाय न सुझा तो उसे अपने कोटर में पल रही बिमारियों की याद आई| पहाड़ ने सभी बिमारियों को इकठ्ठा किया और कहा, “मेने कई साल तुम्हारी रक्षा की है और तुम्हें रहने के लिए अपनी कोटर में स्थान दिया है| लेकिन अब मेरे किए गए इस उपकार का वक्त आ गया है|” बीमारियाँ पहाड़ के किसी भी काम के लिए पहले ही तैयार थी| किसान ने फावड़े और कुदाल चलाते हुए किसानो की और इशारा किया और कहा, “पुत्रियों! यह देखो मेरे क्षत्रु| फावड़ा और कुदाल लेकर मेरे अस्तित्व को खतरे में डाले हुए हैं| तुम सब की सब इनपर झपट पदों और मेरा नाश करने वालों का सत्यानाश कर डालो|”
पहाड़ का आदेश मानकर बीमारियाँ आगे बढ़ी और किसानों के शरीर से जाकर लिपट गई| पर किसान तो अपनी धुन में लगे थे| जितने तेजी से फावड़े और कुदाल चलाते उतनी ही तेजी से पसीना बाहर निकलता और साड़ी बीमारियाँ धुलकर निचे गिर जाती| बिमारियों ने किसानों को बीमार बनाने के लिए बहुत प्रयत्न किये लेकिन बिमारियों की एक ना चली| एक अच्छा स्थान छोड़कर उन्हें गंदे स्थान पर जाना पड़ा सो अलग|
पहाड़ ने देखा की जिन बिमारियों को उसने सालों से पाला था वह भी उसकी रक्षा न कर सकी तो पहाड़ बहुत क्रोधित हुआ और उसने बिमारियों को श्राप दिया, कि “मेने तुम्हें अपनी पुत्रियों कि तरह पाला पर फिर भी तुम मेरी रक्षा नहीं कर सकी अब तुम जहाँ हो वहीँ पड़ी रहो|”
तब से बीमारियाँ गन्दगी में ही पड़ी रहती है और महनत करने वाला अनपढ़ आदमी भी स्वस्थ जीवन जीता है| बस यही नियम आज तक चला आ रहा है|
इसीलिए कहा गया है, “हमेशा महनत करते रहना चाहिए| महनती व्यक्ति हमेशा स्वस्थ व् सफल जीवन जीता है|”
पढ़ें :- बूढी माँ के पंच रत्नों की कहानी !
दोस्तों आपको हमारी यह कहानी “ परिश्रम का महत्व | Story in Hindi Language ” कैसी लगी हमें Comment Section में ज़रूर बताएं और हमारा फेसबुक पेज जरुर Like करें|
Related
[ad_2]
Source link
Related Posts
Subscribe Our Newsletter
0 Comments to "परिश्रम का महत्व | Story in Hindi Language"
Post a Comment